गट १--श्लोक क्र.४


पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि

जलमन्नं सुभाषितम्।

मूढै: पाषाणखण्डेषु 

रत्नसंज्ञा विधीयते।।४।।


✓ पदच्छेद--
पृथिव्यां, त्रीणि, रत्नानि, जलम्, अन्नम्, सुभाषितम्, मूढै:, पाषाणखण्डेषु, रत्नसंज्ञा, विधीयते।

✓ शब्दार्थ-- 
१) पृथिव्याम् > पृथिवी (स्त्री)--
= पृथ्वीवर 
= पृथ्वीपर
= On the earth

२) त्रीणि > त्रि (संख्यावि, नपुं)
=तीन 
=तीन
= Three

३) रत्नानि > रत्न (नपुं)
= रत्न 
=रत्न
= Gems

४) जलम् > जल (नपुं)
= पाणी 
=जल (पानी )
= Water

५) अन्नम् > अन्न (नपुं)
= अन्न 
= अन्न
= Food

६) सुभाषितम् > सुभाषित (नपुं)
= सुभाषित 
=सुभाषित (अच्छे वचन )
= Good utterance 

७) मूढै: > मूढ (पुं)
= अज्ञानी लोकांकडून 
=मूर्खोंद्वारा
= By the dimwitted

८) पाषाणखण्डेषु > पाषाणखण्ड (नपुं)
=  दगडाच्या तुकड्यांना 
=पत्थर के टुकड़ों को
= To the pieces stones

९) रत्नसंज्ञा (स्त्री)
= रत्न असे नाव
=रत्न की संज्ञा
= The name 'gem'

१०)  विधीयते > वि+ धा (कर्मणि लट्)
= दिले जाते.
=दी जाती है ।
= Is given

✓ प्रश्न--
१) रत्नानि कुत्र वर्तन्ते?
२) त्रीणि रत्नानि कानि?
३) रत्नसंज्ञा कै: विधीयते?
४) रत्नसंज्ञा केषु विधीयते?

✓ अन्वय--
पृथिव्यां जलम् अन्नं सुभाषितम् (इति एतानि) त्रीणि रत्नानि (सन्ति) ।(तथापि) मूढै: पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते।

✓ समश्लोकी-- 
पृथ्वीवरी रत्ने तीन, जल अन्न सुभाषित |
दगडाला परी मूर्ख म्हणती, रत्न रत्न रत्न ||

✓ अर्थ--

१) मराठी अर्थ--
पाणी, अन्न व सुभाषित ही पृथ्वीवर तीनच रत्ने आहेत. मूर्ख लोक दगडाच्या तुकड्यांना रत्न असे म्हणतात.

२) संस्कृतार्थ:--
जलम्, अन्नम् तथा सुभाषितम् एतानि वस्तुत: रत्नानि सन्ति । परं मूर्खा: जना: पाषाणखण्डेभ्य: रत्नसंज्ञां यच्छान्ति ।

३) हिंदी अर्थ--
पृथ्वी पर तीन रत्न है जल, अन्न और सुभाषित (अच्छे वचन )। मूर्खों के द्वारा पत्थर के टुकड़ों को रत्न की संज्ञा दी जाती है।

४) English Meaning--
There are three reals gems on earth viz. water, food and good utterances. Only the dim-witted give the name 'gem' to the pieces of stones.